बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 गृह विज्ञान बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 गृह विज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 गृह विज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- परदे, ड्रेपरी एवं अपहोल्स्ट्री के वस्त्र चयन को बताइए।
उत्तर -
(Curtains & Draperies)
परदे कमरों की सुन्दरता को बढ़ाने के साथ - साथ एकान्तता (privacy) की रक्षा के लिए भी प्रयोग किये जाते हैं। इस प्रकार परदे व ड्रेपरी का प्रयोग दो उद्देश्यों के लिए किया जाता है - सजावट व एकान्तता की रक्षा हेतु।
परदे व ड्रेपरी के उपयोग बिल्कुल पृथक्-पृथक् हैं। परदे खिड़की के कुछ ही भाग को ढ़कते हैं। इनको ऊपर और नीचे दोनों ओर डोरी से पिरोकर बाँधा जाता है जबकि ड्रेपरी को पूरी खिड़की को ढकते हुए टाँगा जाता है। कभी-कभी ड्रेपरी को फर्श तक की निचाई का भी रखा जाता है।
पर्दे या ड्रेपरी को खरीदते समय उनको किस प्रयोजन के लिए प्रयोग करना है- सजावट या एकान्तता की रक्षा के लिए यह बात अवश्य विचार लेनी चाहिए। यदि पर्दे को सजावट के लिए ही प्रयोग करना है तो पर्दे सफेद या रंगीन स्थान की रंग सादृश्य योजना के अनुसार नमूनेदार तथा विभिन्न डिजाइन का बनाया जा सकता है जबकि उपयोगिता की दृष्टि से यदि पर्दों का चयन करना है तो ऐसे पर्दे अपारदर्शी, मोटे, भारी व महरे रंगों के प्रयोग किये जाने चाहिए।
पर्दों का पारदर्शी या अपारदर्शी होना इस पर निर्भर करता है कि खिड़की के दूसरी तरफ का रुख (aspect) कैसा है। यदि खिड़की किसी बाग-बगीचे की तरफ खुलती है तो उस पर पारदर्शी कपड़ा प्रयुक्त किया जाना उत्तम रहता है। जिन खिड़की-दरवाजों का रुख धूप की तरफ हो या गली-सड़क की तरफ हो जिससे लगातार आने-जाने वाले लोग निकलते हों तो उनकी कार्य- विधियों से कमरे के अन्दर बैठे व्यक्ति को व्यवधान न पैदा हो इसलिए पर्दे पर्याप्त मात्रा में मोटे, रंगीन व अपारदर्शी कपड़े के बनाये जाने चाहिए।
परदे व ड्रेपरी
पर्दों का रंग पर्याप्त पक्का हो, वह धुलने के पश्चात् फीका या मन्द न पड़ जाये, लगातार धूप के सम्पर्क में कपड़ा खराब न हो जाये बल्कि इनका कपड़ा इस प्रकार का हो जो सीधी धूप (direct rays) के प्रवेश होने से तो रोके परन्तु आवश्यक प्रकाश की मात्रा कमरे में आने में बाधक न बने।
पर्दों को महीने, दो महीने बाद यदा-कदा ही धोने की आवश्यकता होती है। फिर भी कपड़ा ऐसा चुनना चाहिए जो धुलने के बाद सिकुड़े नहीं। सावधानी की दृष्टि से परदों के कपड़े का नाप कुछ अधिक रखा जाता है। जिसे मोड़ों पर दबाव के रूप में मोड़ दिया जाता है। आवश्यकता पड़ने पर उसे खोलकर परदे को पुनः अपने पूर्वाकार में ले आया जा सकता है।
प्राय: परदे व ड्रेपरी सूती रखे जाते हैं। ये सस्ते व उपयोगी होते हैं तथा इन्हें आसानी से धोया भी जा सकता है। आजकल हैण्डलूम का कपड़ा भी काफी प्रयोग में आने लगा है। टेरीलिन का भी प्रयोग परदे बनाने में किया जाता है। लेकिन टेरीलिन काफी मँहगा पड़ता है। परदे बने-बनाये (Readymade) भी मिलते हैं तथा अपनी इच्छानुसार व प्रयोजन के अनुकूल आकार के घर पर भी बनाये जा सकते हैं।
परदे का चयन करते समय उस पर हवा, धूप व पानी आदि का क्या प्रभाव पड़ेगा, इस बात को अवश्य विचार कर लेना चाहिए। प्रयोजन के अनुसार अज्वलनशील वस्त्र से बने परदे भी प्रयोग किये जाते है। आजकल ग्लास फाइबर (Glass Fibre) से बने वस्त्र के परदों की भी लोकप्रियता इसी गुण के कारण बढ़ती जा रही है। ये परदे काफी मजबूत रहते हैं इन्हें धोना व सुखाना आसान है। धुलने के बाद न वह सिकुड़ते हैं और न फैलते हैं। यह अप्रत्यास्थ (Non- Elastic) होते हैं। चिकने होने के कारण इन पर आये धूल कण जम नहीं पाते। इनमें प्रतिस्कदता व नमनीयता के गुणों की प्रचुरता रहती है। फाइबर गिलास से बने वस्त्र के परदों में पर्याप्त लटकनशीलता रहती है। इसके परदे सर्वश्रेष्ठ रहते हैं।
अपहोल्सट्री
(Upholstery)
फर्नीचर (विशेष रूप से कुशनदार फर्नीचर) आदि के आवरण के रूप में अपहोल्सट्रीका प्रयोग किया जाता है। इन वस्त्रों का चयन करते समय दो बातें मुख्य रूप से ध्यान देने की हैं— प्रथम तो यह अपनी उपयोगितानुसार फर्नीचर की रक्षा कर सकें तथा द्वितीय यह गृह सज्जा में सौन्दर्यात्मक वृद्धि भी कर सकें।
अपहोल्सट्री के वस्त्रों में मजबूती होने के साथ-साथ लगातार पड़ने वाले तनाव, खिंचाव को ये सहन कर सकने की क्षमता वाले भी होने चाहिए।
अपहोल्सट्री
वस्त्र के रेशे पर्याप्त पास-पास, सटे हुए हों। सघन रचना वाले वस्त्र मजबूत रहते हैं। झीनी रचना वाले वस्त्र अधिक दिनों तक नहीं टिक पाते, वे शीघ्र ही फट जाते हैं और अपहोल्सट्री को लगाने में जो श्रम व समय व्यय हुआ है वह अकारण ही व्यर्थ चला जाता हैं।
वस्त्र का रंग पक्का हो, वह आसानी से धुल सकने वाला (Easy to Wash), न सिकुड़ने वाला (Non Shrinkable) हो। साथ ही साथ इनका रंग भी कमरे की रंग योजना सादृश्य के अनुसार रखा जाए।
अपहोल्सट्री के वस्त्रों को फर्नीचर आदि पर चढ़ाते समय उन्हें कुछ ढीला ही रखना चाहिए ताकि इन्हें उतारना, चढ़ाना व पुनः लगाना आसान हो। यदि धुलाई के पश्चात् वस्त्र कुछ सिकुड़ें भी तो इतनी गुजाइश रहे कि ये पुनः चढ़ सकें व छोटे न पड़ें।
आधुनिक समय में अपहोल्सट्री के लिए छपी हुई टेपेस्टरी (Printed Tapestry) के अतिरिक्त बुनी हुई टेपेस्टरी (Woven Tapestry) भी सुन्दर मनमोहक नमूनों, डिजायनों व रंगों में बाजार में उपलब्ध है जिनमें पर्याप्त मजबूती व टिकाऊपन का गुण विद्यमान रहता है।
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- प्रश्न- विभिन्न प्रकार की बुनाइयों को विस्तार से समझाइए।
- प्रश्न- निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। 1. स्वीवेल बुनाई, 2. लीनो बुनाई।
- प्रश्न- वस्त्रों पर परिसज्जा एवं परिष्कृति से आप क्या समझती हैं? वस्त्रों पर परिसज्जा देना क्यों अनिवार्य है?
- प्रश्न- वस्त्रों पर परिष्कृति एवं परिसज्जा देने के ध्येय क्या हैं?
- प्रश्न- निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। (1) मरसीकरण (Mercercizing) (2) जल भेद्य (Water Proofing) (3) अज्वलनशील परिसज्जा (Fire Proofing) (4) एंटी-सेप्टिक परिसज्जा (Anti-septic Finish)
- प्रश्न- परिसज्जा-विधियों की जानकारी से क्या लाभ है?
- प्रश्न- विरंजन या ब्लीचिंग को विस्तापूर्वक समझाइये।
- प्रश्न- वस्त्रों की परिसज्जा (Finishing of Fabrics) का वर्गीकरण कीजिए।
- प्रश्न- कैलेण्डरिंग एवं टेण्टरिंग परिसज्जा से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- सिंजिइंग पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- साइजिंग को समझाइये।
- प्रश्न- नेपिंग या रोयें उठाना पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए - i सेनफोराइजिंग व नक्काशी करना।
- प्रश्न- रसॉयल रिलीज फिनिश का सामान्य परिचय दीजिए।
- प्रश्न- परिसज्जा के आधार पर कपड़े कितने प्रकार के होते हैं?
- प्रश्न- कार्य के आधार पर परिसज्जा का वर्गीकरण कीजिए।
- प्रश्न- स्थायित्व के आधार पर परिसज्जा का वर्गीकरण कीजिए।
- प्रश्न- वस्त्रों की परिसज्जा (Finishing of Fabric) किसे कहते हैं? परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- स्काउअरिंग (Scouring) या स्वच्छ करना क्या होता है? संक्षिप्त में समझाइए |
- प्रश्न- कार्यात्मक परिसज्जा (Functional Finishes) किससे कहते हैं? संक्षिप्त में समझाइए।
- प्रश्न- रंगाई से आप क्या समझतीं हैं? रंगों के प्राकृतिक वर्गीकरण को संक्षेप में समझाइए एवं विभिन्न तन्तुओं हेतु उनकी उपयोगिता का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वस्त्रोद्योग में रंगाई का क्या महत्व है? रंगों की प्राप्ति के विभिन्न स्रोतों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- रंगने की विभिन्न प्रावस्थाओं का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कपड़ों की घरेलू रंगाई की विधि की व्याख्या करें।
- प्रश्न- वस्त्रों की परिसज्जा रंगों द्वारा कैसे की जाती है? बांधकर रंगाई विधि का विस्तार से वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- डाइरेक्ट रंग क्या हैं?
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- प्रश्न- प्राकृतिक डाई (Natural Dye) के लाभ तथा हानियाँ क्या-क्या होती हैं?
- प्रश्न- प्राकृतिक रंग (Natural Dyes) किसे कहते हैं?
- प्रश्न- प्राकृतिक डाई (Natural Dyes) के क्या-क्या उपयोग होते हैं?
- प्रश्न- छपाई की विभिन्न विधियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- इंकजेट (Inkjet) और डिजिटल (Digital) प्रिंटिंग क्या होती है? विस्तार से समझाइए?
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- प्रश्न- रंगाई के बाद (After treatment of dye) वस्त्रों के रंग की जाँच किस प्रकार से की जाती है?
- प्रश्न- स्क्रीन प्रिटिंग के लाभ व हानियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- स्टेन्सिल छपाई का क्या आशय है। स्टेन्सिल छपाई के लाभ व हानियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पॉलीक्रोमैटिक रंगाई प्रक्रिया के बारे में संक्षेप में बताइए।
- प्रश्न- ट्रांसफर प्रिंटिंग किसे कहते हैं? संक्षिप्त में समझाइए।
- प्रश्न- पॉलीक्रोमैटिक छपाई (Polychromatic Printing) क्या होती है? संक्षिप्त में समझाइए।
- प्रश्न- भारत की परम्परागत कढ़ाई कला के इतिहास पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सिंध, कच्छ, काठियावाड़ और उत्तर प्रदेश की चिकन कढ़ाई पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
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- प्रश्न- पंजाब की फुलकारी कशीदाकारी एवं बाग पर संक्षिप्त लेख लिखिए।
- प्रश्न- टिप्पणी लिखिए : (i) बंगाल की कांथा कढ़ाई (ii) कश्मीर की कशीदाकारी।
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- प्रश्न- सांगानेरी (Sanganeri) छपाई का विस्तृत रूप से विवरण दीजिए।
- प्रश्न- कलमकारी' छपाई का विस्तृत रूप से वर्णन करिए।
- प्रश्न- मधुबनी चित्रकारी के प्रकार, इतिहास तथा इसकी विशेषताओं के बारे में बताईए।
- प्रश्न- उत्तर प्रदेश की चिकन कढ़ाई का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- जरदोजी कढ़ाई का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- इकत शब्द का अर्थ, प्रकार तथा उपयोगिता बताइए।
- प्रश्न- पोचमपल्ली पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- बगरू (Bagru) छपाई का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- कश्मीरी कालीन का संक्षिप्त रूप से परिचय दीजिए।
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- प्रश्न- भारत के परम्परागत वस्त्रों का उनकी कला तथा स्थानों के संदर्भ में वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- टाई एण्ड डाई को विस्तार से समझाइए |
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- प्रश्न- वस्त्र निर्माण में काम आने वाले रेशों का चयन करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
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- प्रश्न- अपहोल्सटरी के वस्त्रों का चुनाव करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
- प्रश्न- गृहोपयोगी लिनन (Household linen) का चुनाव करते समय किन-किन बातों का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता पड़ती है?
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- प्रश्न- अवसर के अनुकूल वस्त्रों का चयन किस प्रकार करते हैं?
- प्रश्न- मौसम के अनुसार वस्त्रों का चुनाव किस प्रकार करते हैं?
- प्रश्न- वस्त्रों का प्रयोजन ही वस्त्र चुनाव का आधार है। स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- बच्चों हेतु वस्त्रों का चुनाव किस प्रकार करेंगी?
- प्रश्न- गृह उपयोगी वस्त्रों के चुनाव में ध्यान रखने योग्य बातें बताइए।
- प्रश्न- फैशन एवं बजट किस प्रकार वस्त्रों के चयन को प्रभावित करते हैं? समझाइये |
- प्रश्न- लिनन को पहचानने के लिए किन्ही दो परीक्षणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- ड्रेपरी के कपड़े का चुनाव कैसे करेंगे? इसका चुनाव करते समय किन-किन बातों पर विशेष ध्यान दिया जाता है?
- प्रश्न- वस्त्रों की सुरक्षा एवं उनके रख-रखाव के बारे में विस्तार से वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वस्त्रों की धुलाई के सामान्य सिद्धान्त लिखिए। विभिन्न वस्त्रों को धोने की विधियाँ भी लिखिए।
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- प्रश्न- निम्नलिखित दागों को आप किस प्रकार छुड़ायेंगी - पान, जंग, चाय के दाग, हल्दी का दाग, स्याही का दाग, चीनी के धब्बे, कीचड़ के दाग आदि।
- प्रश्न- ड्राई धुलाई से आप क्या समझते हैं? गीली तथा शुष्क धुलाई में अन्तर बताइये।
- प्रश्न- वस्त्रों को किस प्रकार से संचयित किया जाता है, विस्तार से समझाइए।
- प्रश्न- वस्त्रों को घर पर धोने से क्या लाभ हैं?
- प्रश्न- धुलाई की कितनी विधियाँ होती है?
- प्रश्न- चिकनाई दूर करने वाले पदार्थों की क्रिया विधि बताइये।
- प्रश्न- शुष्क धुलाई के लाभ व हानियाँ लिखिए।
- प्रश्न- शुष्क धुलाई में प्रयुक्त सामग्री व इसकी प्रयोग विधि को संक्षेप में समझाइये?
- प्रश्न- धुलाई में प्रयुक्त होने वाले सहायक रिएजेन्ट के नाम लिखिये।
- प्रश्न- वस्त्रों को स्वच्छता से संचित करने का क्या महत्व है?
- प्रश्न- वस्त्रों को स्वच्छता से संचयित करने की विधि बताए।